- क्या वायरल: अंग्रेजी में लिखे मैसेज में दावा-1990 से 2020 के बीच काम कर चुके हर एक मजदूर-कर्मचारी को श्रम व रोजगार मंत्रालय 1.20 लाख रुपए दे रहा है
- सच्चाई: ऐसा कोई प्रावधान भारत सरकार ने नहीं किया, दक्षिण अफ्रीका के श्रम मंत्रालय की वेबसाइट का लिंक और पीआईबी ने भी इसे फेक बताया
फैक्ट चेक डेस्क. कोरोना लाॅकडाउन के बीच अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज घोषित किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हर दिन इसके बारे में नई जानकारियां दे रही हैं। अब इन जानकारियों के नाम पर फेक लिंक के साथ फेक मैसेज भी वायरल किए जा रहे हैं।
वॉट्सऐप और फेसबुक पर अंग्रेजी ऐसे एक वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि 1990 से 2020 के बीच काम कर चुके हर एक मजदूर-कर्मचारी को श्रम व रोजगार मंत्रालय 1.20 लाख रुपए दे रहा है।
इस मैसेज की पड़ताल में यह सच निकल कर आया कि ऐसा कोई प्रावधान न तो वित्त मंत्री ने बताया है और न ही श्रम व रोजगार मंत्रालय ने ऐसा कुछ कहा है। इस मैसेज के साथ दी जा रही वेबसाइट दक्षिण अफ्रीका के श्रम मंत्रालय की है। इसके साथ ही भारत की पीआईबी ने अपने फैक्ट चेक हैंडल पर भी इसे फेक मैसेज बताया है।
- वायरल मैसेज:
- 13 और 14 मई को अंग्रेजी भाषा में वायरल मैसेज में लिखा है- ‘1990 से 2020 तक काम कर चुके श्रमिकों के पास श्रम व रोजगार मंत्रालय से 1,20,000 रुपये पाने का अधिकार है। (workers who worked between 1990 and 2020 have a right to receive a benefit of 1,20,000 rupees from the Ministry of Labour and Employment.)
- वायरल मैसेज में एक लिंक दिया गया है। इस लिंक में उन लोगों की लिस्ट है जो यह फायदा फायदा उठा सकते हैं।